बिहार, बिहारी और छठ : छठी मईया के श्री चरणों में सादर समर्पित एक ग़ज़ल !


हम बिहार-ए-बाशिंदा एक ख़ास तेहवार करते हैं ।
जान वो जिगर से सूरज का इबादत वो प्यार करते हैं ।

ढलते हुए सिराज पर दिल वो जां निसार करते हैं ।
फर्ज़ के आबे दरिया में छठी मईया का दीदार करते हैं ।

मत पूछ मेरी जां, कि बिहारी कैसा व्यवहार करते हैं ।
पूरी कायनात के लिए, रिफ़ाह-ए-आम का एहतराम करते हैं ।

सारे मजहबों के मालिक, शिरकत करें हम आह्वान करते हैं ।
कुदरती सौग़ात हैं, हम इंसा हैं, इंसा से प्यार करते हैं।

गन्ना, मौसमी फल, लज़ीज़-ए-ख़ास खस्ता चढ़ाया करते हैं ।
रहें देश या परदेश, अम्मा के लाल आंचल में समाया करते हैं ।

।। जय छठी मईया ।।

छठ महापर्व पर जगत जननी के प्रति अपार श्रद्धा व अटूट विश्वास के साथ...!

आपका 
✍️©रजनीश कुमार मिश्र
(हक़्क़-ए-नक़्ल महफ़ूज़)

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