चांद से चंदा की नैना मिली ...!

जो चांद से चंदा की नैना मिली
तो चांदी बदन चम्पा सी खिलीss ।

मुझे भी कहीं, है देखी कभी ?
मेरी शाम-वो-सहर, है तू आठोंपहर ।

तू श्याम, बस नाम, बसा ले, दिलों में अभीss...।

क्या चंदा तुझे, है भी ख़बर ?
तू भौरा कि है, जान-ए-जिगर ।

है ख़ाब, कि आब, पिला दे, लबों की कभी ss...।

जो चांद से चंदा की नैना मिली
तो चांदी बदन चम्पा सी खिलीss ।

मैं तुझको जो देखूं , तो अपना लगे तू ।
जो ख़ुदको मैं देखूं , तो सपना लगे तू ।

तू आ जा, समा जा , बदन में, हवा बनादे मिट्टी मेरीss...।

जो चांद से चंदा की नैना मिली
तो चांदी बदन चम्पा सी खिलीss ।

फ़कीर-ए-इश्क , बनेगा जो बादल 
आशिक आवारा , तो होगें ना पागल ।

रात रानी, बनेगी कहानी, देखो , ख़ुदाया, खुशबू उड़ीss...।


~मेरे गीत...
✍️© रजनीश कुमार मिश्र
(हक़्क़-ए-नक़्ल महफ़ूज़)

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