ज़न्नते मोहब्बत: एक ग़ज़ल


तुम यूं जो छेड़ दोगी दिल को, तो सर-ए-शाम हो जायेगी।
देख जमाना बुरा है, बात करके ही बदनाम हो जायेगी।।

गर तू जो ईश्क में, यूं बदनाम हो जायेगी ।
गुजरे आशिकों की, फिर से कत्ले आम हो जायेगी ।।

तुम यूं जो छेड़ दोगी दिल को, तो सर-ए-शाम हो जायेगी।
देख जमाना बुरा है, बात करके ही बदनाम हो जायेगी।।

बात न कर मेरे दीवानेपन की, वर्ना फिर दीवानी हो जायेगी ।
हुज़ूर तेरे अश्क-ए-पानी, कहीं मेरे खून की सुनामी हो जायेगी ।।

तुम यूं जो छेड़ दोगी दिल को, तो सर-ए-शाम हो जायेगी।
देख जमाना बुरा है, बात करके ही बदनाम हो जायेगी।।

तेरी आंखों में देख के, मेरी आँखें भी आब-ए-हयात की रवानी हो जायेगी ।
तेरा मुझ पर यूं तरस आना, वफ़ा की इक नई कहानी हो जायेगी ।।

तुम यूं जो छेड़ दोगी दिल को, तो सर-ए-शाम हो जायेगी।
देख जमाना बुरा है, बात करके ही बदनाम हो जायेगी।।

मेरे साथ है जो तेरा इश्क़-ए-नूर, तो मेरे दिल-ए-गलियां रौशन हो जायेगी ।
दुनिया रोकेगी हमें मिलने से यहां, ज़न्नत-ए-इश्क़ ए चमन में तू मेरी हो जायेगी ।।

हक़्क़-ए-नक़्ल महफ़ूज़...!
✍️© रजनीश कुमार मिश्र









 

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