!! भारत-माता, तेरे खातिर !!
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा मुकुट छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
काट काट दानव मुण्डों को, तेरा हवन करूंगा
* काली मैय्या खप्पर तेरा, अब खाली न रहने दूंगा
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा लाल छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
गोद का तेरे लल्ला मैय्या, अब बाल कृष्ण बनूंगा
राक्षसी पूतना उद्धार करन को, ज़हर चूस फिर रक्त चूसूंगा
अंतिम दम और वीरगति तक, दूध का लाज रखूंगा
* कलाई, गोद, सिंदूर बचाकर, कसाईयों को हलाल करूंगा
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा मुकुट छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
दंगाई गर जंग चाहे तो, बारूद की वर्षा करूंगा
हे मैय्या त्रिशूल में तेरे, अब जंग ना लगने दूंगा
पांव महावर, हाथ में मेंहदी, खून से रच-रच दूंगा
* थाल में भाल सजाकर तेरे, चरणों में भेंट करूंगा
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा कोख छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
आंख तेरा अब और ना माता, ग़म से नम होने दूंगा
परशुराम से फरसा लेकर, बूचड़ का वध करूंगा
भोला-भाला लाल हूं तेरा, अब महाकाल बनूंगा
* वंशीधर ग्वाला हूं मैय्या, अब सुदर्शन चक्र धरुँगा
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा मुकुट छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
मुख-भट्ठी, दांत-छेनी, लातs को तब कुंदा करूंगा
करुण नर अब और ना रहकर, नरसिंह सा संहार करूंगा
आतंकी से अनुनय ना कर, अग्नि बाण प्रहार करूंगा
* हनुमान बन लंक दहन को, पूंछ में आग रखूंगा
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा मुकुट छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
मातृ-भूमि के गद्दारों लो, मैं अंतिम ऐलान करूंगा
मां का आंचल बेच न देना, कलेजा अपना दान करूंगा
देश के बाबू ,भैय्या सुनलों, अब मैं उग्र अर्जुन बनूंगा
* चाचा, दादा और मामा के, लाशों का ढेर करूंगा
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने दूंगा
जिसने तेरा लाल छुआ, उसे मरघट में मारूंगा
मां-बहन, बहु और बेटी, प्रचण्ड चण्डी रूप धरेंगी
चण्ड-मुण्ड और महिषासुर का, चीर चीर फिर वध करेंगी
रक्त-बीज का खून पीकर, स्वर्ग वसुंधरा वास करेंगी
* नरभक्षी को नरक-लोक में, फूंक फूंक कर ख़ाक करेंगी
असहाय अब भारत माता, तुम्हें ना रहने देंगी
जिसने तेरा लाल छिना, उसे मरघट में मरेंगी
प्रेम से बोलो - भारत माता की ! जय ! भारत माता की ! जय !
वन्दे, मातरम ! वन्दे, मातरम !
@ रजनीश कुमार मिश्र
Very good👍
ReplyDeleteMillions of thanks for your constructive feedback
ReplyDelete