अनजान प्रिये ! तु जान प्रिये, मैं ही सबका हूँ प्राण-प्रिये । नादान प्रिये ! तुम्हरे किरिये, सच बात कहुँ यह मान प्रिये । ना रूठ प्रिये ! मैं ना झुठ प्रिये, मैं मृत्यु सा हूँ साँच प्रिये । स्व मगन प्रिये ! मैं अगन प्रिये, मैं हिम सा शीतल काँच प्रिये ! मेरी शान प्रिये ! कुछ तो कहिये, मैं मूक नहीं वाचाल प्रिये । चंचल प्रिये ! मैं ही चल-अचल प्रिये , मैं जीवन का प्रवाह प्रिये ! कोमल प्रिये ! मैं ही काया कंचन प्रिये, मैं ही भूत विकराल प्रिये । मेरी चाँद प्रिये ! मैं धरती व आसमान प्रिये, इनमें छिपि मेरी भान प्रिये । ऊर्वशी प्रिये ! मैं ही अवतरण प्रिये, मैं करता हूँ भवपार प्रिये । मैं जनम प्रिये, मैं मरण प्रिये । मैं सुख प्रिये, मैं दुःख प्रिये । मैं जगत पिता, मैं जगत माता । मैं चर-अचर, मैं ही हूं ब्रह्माण्ड प्रिये । मैं मधुर-मिलन, मैं विष-विरह प्रिये । मैं ही मैं बस जान प्रिये .... I मेरी मोह प्रिये, मेरी काम प्रिये । मैं मौत प्रिये, मैं ही हूँ गर्भधान प्रिये । मैं बाल काण्ड, मैं उत्तर काण्ड । मैं स्वयं ब्रह्मा, मैं ही हूँ महाकाल प्रिये । मैं सीता स्वयंवर, मैं हवन कुण्ड । मैं ...
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